रिश्ते या दिखावा??
कई लोगो की ज़िन्दगी में कुछ रिश्तों की कमी होती है।किसी के पास पिता नही है।किसी के पास भाई नही है।किसी के पास बहन नही है।लेकिन मै??मेरे पास तो मां ही नही है।मेरी ज़िन्दगी में माँ की जगह कोई नही ले सका।कई बार मेने कुछ रिश्तेदारो से नज़दीकियां बढ़ाई लेकिन कोई मेरी माँ नही बन पाया।कुछ लोगो ने दिखावा किया।कुछ लोगो ने एहसान जताया।इसके अलावा कोई कुछ न कर सका।मै कुछ लोगो से अपनेपन की अपेछा करने लगी लेकिन मुझे आखिर मे धोखा ही मिला।जो लोग मेरे अपने होने का दावा करते थे वे समय के साथ बदल गए।मेरे लिए जो कुछ छोटा मोटा काम उन लोगो ने किया था वे उसका अहसान जताने लगे की वे न होते तो हमारे पास कुछ न होता।और मै पागल उन लोगो को अपनी माँ समान समझने लगी।फिर जो विश्वास घात मेरे साथ हुआ उसने मुझे अंदर तक झकझोर दिया।अब मै ये ठान चुकी हु की अब मेरा कोई नही है।मै अपने आप की हूँ।और आने वाली ज़िन्दगी मुझे अपने आप जीनी है।