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Showing posts from November, 2017

पद्मावती पर इतना हंगामा क्यों???

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आज एक फ़िल्म पद्मावती के कारण पूरा भारत जाति विशेष में बँट गया है।आज ही सबको याद आया की कोई नारी हमारी आन बान और  शान है।जबकि रोज एक लड़की की आबरू लुटती है यहां। तो फिर क्यों लोग एक दुसरे की गर्दन काटने पर उतारू हो गए है।जहां एक नारी पद्मावती हमारा सम्मान है वहां लोग दूसरी नारी की नाक काटना चाहते है।आखिर क्यों? फ़िल्म पद्मावती की पब्लिसिटी के लिए जो अफवाह फैलाई गयी क्या किसी ने उसकी सच्चाई जानने की कोशिश की?आज सब मिलकर खुद अपने भारत की गरिमा को दाव पर लगा रहे है वो भी सिर्फ एक फ़िल्म के कारण।बड़े बड़े संगठन इतिहास के साथ छेड़छाड़ हुई है ऐसा कह कर देश भर में दंगे की तयारी कर रहे है,भारत बंद करने की तैयारी कर रहे है,सिनेमाघरों में तोड़ फोड़ की तयारी कर रहे है।जबकि किसी को इस फ़िल्म के बारे में कुछ भी नही पता है।एक ओर संजय लीला भंसाली जहाँ पेशवा बाजीराव के वीर साहसी चरित्र को एक प्रेम कहानी के रूप में सबके सामने ला ता है तब कोई मराठा इसके विरोध में नही आया और आज जो फ़िल्म किसी ने देखी ही नही उसे लेकर भारत भर में राजपूतों सहित सभी जातियों ने तहलका मचा रखा है।फ़िल्म के निर्देशक अपनी फ़िल्म की पब्लिसिटी

जीकर देखो एक पीड़िता की ज़िन्दगी

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कभी कभी सोचती हूँ कि मैं खुशनसीब हूँ जो मेरे साथ बलात्कार नही हुआ।मुझे लोग पीड़िता नही कहते।मीडिया वाले मेरे मुँह में माइक घुसेड़ कर मेरा चेहरा धुंधला कर मुझसे ये नही पूछते की क्या हुआ था।मैं वो नही हूँ जिसके परिवार को सालों तक कोर्ट के चक्कर काटने है।वो डॉक्टर मुझे शक की निगाहों से नही देखता कि कहीं सहमति से तो नही हुआ।मैं वो नही हूँ जिसे महिला पुलिसकर्मी के आभाव में पुलिस वाले के सवालों का जबाब देने में असमंजस होता है।सोचती हूँ अच्छा है,मुझे देख मोहल्ले के लोग कानाफूसी नही करते।मेरे घरवाले मुझे कोसते नही कि - तू पैदा ही क्यों हुई थी। हाँ.. मैं वो नही हूँ, लेकिन वो हज़ारों लडकिया जिनके साथ बलात्कार हुआ उन्हें ये सब सहना पड़ता है।उन बलात्कारियो से मैं कहना चाहती हूँ कि एक बार जीकर देखो एक पीड़िता की ज़िन्दगी।एक बार महसूस करो उस परिवार का दर्द और उस बेटी का दर्द। भारत में प्रतिदिन 85 बलात्कार होते है और एक साल में संख्या कई हज़ारो की होती है जिनमे कई लडकिया जिन्हें या तो मार दिया जाता है या फिर वे खुद आत्महत्या कर लेती है।बाकी बची लडकिया जिल्लत भरी ज़िन्दगी जीती है।बहुत कम लडकिया ऐसी है जो वा

बस थोडा सा त्याग और थोड़ी सी मिलनसारिता।

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आज कल सोशल मिडिया पर जहाँ देखो वहा आरक्षण विरोधी गला फाड़ फाड़ कर आरक्षण का विरोध कर रहे है।वे चाहते है की भारत आरक्षण मुक्त हो जाय।भारत का संविधान लागू होने से लेकर अब तक आरक्षण हर जगह व्याप्त है।लेकिन आरक्षण मिलता भी है तो केवल जातिगत बुनियाद पर।क्या ये जरूरी है की जिन्हें आरक्षण मिल रहा है वे योग्य है या वे गरीब है।अपितु आर्थिक रूप से सुदृण तो दलित भी है।आज क्या नही है आरक्षण प्राप्त लोगो के पास उनके पास घर है नोकरी है बच्चे अच्छे स्कूल कॉलेजों में पढ़ रहे है और क्या चाहिए।रहा सहा उन्हें मंदिरो में पुजारी बनना था तो वो भी बन गए लेकिन केवल भेदभाव की बुनियाद पर।पुजारी के रूप में एक दलित का स्थापित होना भेदभाव को वही ख़त्म कर देता है तो क्या अब आरक्षण बन्द कर देना चाहिए।हर एक सवर्ण यही चाहता है।लेकिन क्या किसी ने सोचा है की जिस प्रकार आरक्षण हटाना हमारा स्वार्थ है उसी प्रकार आरक्षण प्राप्त करना उन लोगो का स्वार्थ है।सरकार आरक्षण क्यों नही हटाती है?? वो इसीलिए नही  क्योकि दलितों के द्वारा प्राप्त होने वाले वोट कम हो जायेगे।बल्कि जो योग्य व्यक्ति सत्ता को अपने हाथ में लिए बैठा है उसे भारत की

भारत में घटता शिक्षा का स्तर

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देखा जाए तो उच्चतर शिक्षा व्यवस्था के मामले में अमरीका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर भारत का नाम आता है। लेकिन जहाँ तक गुणवत्ता की बात है दुनिया के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है।कथित रूप से भारत में स्कूल की पढ़ाई करने वाले नौ छात्रों में से एक ही कॉलेज पहुँच पाता है जिसकी वजह है स्कूलो में नियमित और उचित शिक्षा व्यवस्था का न होना।भले ही सरकार और निजी विद्यालय अपने स्तर पर कितनी भी कोशिश करें।लेकिन आज का युग शिक्षा के क्षेत्र में कोचिंग सेंटरों का युग बन चुका है।सरकारी नोकरी या ढंग की जॉब न होने के कारण 2000 से 5000 रूपये वेतन पाने वाले प्राइवेट शिक्षको ने निजी कोचिंग संसथान चलाने शुरू कर दिए और पूरी शिक्षा प्रणाली की बैंड बजा दी। ये बात अलग है की अपनी जरूरते पूरी करने के लिए कुछ बच्चों को घर पर पढ़ाना और उनसे न्यूनतम शुल्क लेना। लेकिन आज हालात कुछ ऐसे हो गए है की लोगो ने शिक्षा को धंधा बना लिया है। बड़े बड़े कोचिंग संसथान खुल चुके है जो सैकड़ो की तादात में विद्याथियों को प्रवेश देते है और हज़ारो रूपये लुटे जाते है। इस वज़ह से विद्यालय केवल परीक्षा पास करने

सबका कारण शराब ही है

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भारत सरकार से 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया जिसमे खाने पीने प्रत्येक चीज़ पर 4 से 12 प्रतिशत टैक्स लगाया गया। लेकिन शराब पर टैक्स नही लगाया गया फिर भी उसकी कीमतों में 15% की बढ़ोत्तरी हुई।ऐसा इसीलिए हुआ क्योकि शराब बनाने मे जिस कच्चे माल का उपयोग किया जाता है वो सभी gst के अंतर्गत है।कच्चे माल के रूप में उपयोग किये जाने वाले सामानों पर 15 से 28% तक टैक्स लगाया गया है।इससे हुआ ये की नव उत्पादित शराब महँगी हो गयी।लेकिन इस बात से खरीदने वाले को कोई फर्क नही पड़ा।चाहे उसके पास पैसे हो या न हो वो उधार लेकर भी शराब पियेगा।भारत में होने वाली घरेलु हिंसा की 90% घटनाएं शराब पीने वाले लोग करते है।शराब में पाये जाने वाले अल्कोहोल को ज्यादा मात्रा शारीर के लिए हानिकारक होती है।इससे आसपास के माहौल को भाँपने में शारीर गड़बड़ाने लगता है और सोचने समझने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है।इंसान खुद को सभी झंझटों  से मुक्त समझने लगता है। डब्लू एच ओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में शराब पीने के कारण 33 लाख लोगो की मौत होती है।भारत की बात करें तो यहाँ प्रतिदिन 15 लोगो की मौत शराब पीने के कारण होती है।शराब संबंधी