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Showing posts from December, 2017

हाँ। ये मेरी ज़िन्दगी है जो लोगो को सरल लगती है।

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(इसे समझना हर किसी के बस की बात नही है) ये सभी तत्व उसकी जिंदगी के अभिन्न अंग है।साथ ही साथ रिश्तों के दायरे अक्सर उसको चूर चूर कर देते है।ऐसे रिश्ते जिनसे उसका वजूद हो।बिना उन रिश्तों के उस लड़की की कोई औकात न हो।वाह रे भगवान् क्या दुनिया बनाई है तूने।यहाँ चीत्कारें यदि पुरुष की हों तो आसमान भी उठा ले।लेकिन एक औरत की चीत्कार को जबान के बहार जाने की इज़ाज़त नही है।वो चीत्कार हमेशा कलेजे के अंदर दबी रहती है और आग की तरह धधकती रहती है।लेकिन जब संसार की जननी मुट्ठी भर पापियों से त्रस्ट होकर कुंठित होकर "मैं" को चुनती है तब वो चीत्कार बहार निकलती है और उस चीत्कार को दबाने का एक ही तरीका होता है कि उसके चरित्र पर ऊँगली उठा दो और उसके लिए वैश्या जैसी गाली का इस्तेमाल करो।यहाँ आकर भाई बहन, बाप बेटी जैसा रिश्ता कोई मायने नही रखता।ये रिश्ते जितने करीबी होते है उतना ही दर्द दे जाते है।फिर एक राज खुला की वो आत्महत्या क्यों करती है।वो अपना संसार बसाती है और बार बार खुद को मारती है।आखिर क्यों? वो समझ गयी क्योंकि उसंने वो महसूस कर लिया।उसने वो सब सह लिया जिसके कारण हर बार वो अपने बच्चों

क्या नारी सशक्तिकरण झूठ,फरेब को बढ़ावा दे रहा है।

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आज भारत जिस रफ़्तार से नारी सशक्तिकरण की ओर बढ़ रहा है ठीक उसी तरह इसका दुरूपयोग भी बढ़ता जा रहा है।आखिर क्या कारण है कि दहेज़ प्रताड़ना और बलात्कार संबंधी मामलों को सुलझाने में न्यायालय को 5 से लेकर 10 वर्ष तक का समय लग जाता है? सबका कारण एक ही है, हत्याओं तथा आत्महत्याओं के मामले में दहेज़ प्रताड़ना के झूठे केसों की बढ़ती संख्या तथा प्रेमी युगलों द्वारा की गयी बेवकूफियों को बलात्कार का रूप देना।जहाँ एक ओर अबला नारी पर हुई घरेलू हिंसा के मामले सालों तक न्यायालय में रखी फाइलों में सड़ते रहते है वही दूसरी ओर दहेज़ प्रताड़ना के झूठे केसों की दर्ज संख्या बढ़ती जाती है।जहां एक ओर अंगारों से दागी हुई महिला न्यायालय में इन्साफ की भीख मांगती रह जाती है वहीं दूसरी ओर एक निर्दोष पिता अपने बच्चों और परिवार को छोड़ सलाखों के पीछे पहुँच जाता है।यही हालात बलात्कार संबंधी मामलों के भी है।भारत में हर साल दर्ज 34000 दुष्कर्म के केसों में जितने सैंकड़ों केस झूठे होते है या प्रेमी युगलों की गलतियों के परिणाम होते है उतने ही सैंकड़ों केस समाज में बदनामी के डर से दबे रह जाते है और निर्दोष लड़कियो के साथ हुई दरिंदगी का न्