आज कल जिसे देखो वह संविधान की दुहाई देता है।संविधान को गलत ठहराता है।संविधान में वर्णित नीतियों को गलत बताता है।वह संविधान जो स्वतंत्र भारत में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक आदर्श नागरिक बनाने के लिए तथा भारत के कुशल संचालन के लिए बनाया गया था।भारत की कानून और न्याय व्यवस्था की नींव भारतीय संविधान ही है। लेकिन किसी ने कभी सोचा है, कि क्या सभी भारतीय आदर्श नागरिक बन पाये है? इस सवाल का जबाब संविधान के मौलिक अधिकारों में ही छुपा हुआ है।वे मौलिक अधिकार जो भारत के प्रत्येक नागरिक को जन्म से ही प्राप्त हो जाते है।अभिव्यक्ति का अधिकार जो अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है,हमे अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है इस अधिकार के तहत भारत का प्रत्येक नागरिक अपनी बात लोगो के सामने रख सकता है।लेकिन क्या अभिव्यक्ति के अधिकार का उपयोग भारत के नागरिक सही तरीके से कर रहे है?क्या अभिव्यक्ति का अधिकार हिंसा फैलाने,धार्मिक भावनाये भड़काने,धमकी देने, अपशब्द कहने या जानबूझ कर किसी की भावनाये आहात करने की इज़ाज़त देता है?? संविधान द्वारा दी गयी इस आजादी का इस तरह उपयोग कर कोई आदर्श नागरिक न