राजनीति में अंधे लोग
होने दो जो हो रहा है.. मक्कारी से पुल टूटने दो..बेशर्मी से बलात्कार होने दो.. क्या फर्क पड़ता है उस सत्ता में बैठे लोगों को.. उन्हें तो चुनाव चुनाव खेलने दो और आप उनकी अंधभक्ति में लगे रहो। क्या फर्क पड़ता है पुल गिर जाये लोग मर जाएं। आपके प्रिय नेतागण तो दुःख व्यक्त कर पल्ला झाड़ लेते है और आप अंधभक्ति में तालियां बजाते रहते है। कोई फर्क नही पड़ता यदि आपके पड़ोस में बलात्कार हो जाये या आपके घर का कोई पुल के नीचे दब जाये.. आप भक्ति में इतने अंधे हो गए है कि आपमे न संवेदना बची है और न ही इंसानियत। सच कहा है किसी ने कि जनता बेवकूफ होती है, वे हमे जाति के नाम पर लड़वाएंगे तो हम लड़ेंगे, हमें धर्म के नाम पर लड़वाएंगे हम लड़ेंगे। क्या फर्क पड़ता है लोग मर रहे है, मरने दो। हमें फुरसत कहाँ है हमें फ़िल्म पर लड़ना है,तस्वीर पर पड़ना है, बहुत बड़ी बड़ी लड़ाइयां लड़नी है।क्योकि हम है भारत के वीर सपूत जो जिन्ना की तस्वीर नही रहने देगें,पद्मावती की कमर नही दिखने देंगे। लेकिन पुल गिरेगा लोग मरेंगे हम मरने देंगे.. बलात्कार होगा.. हम होने देंगे। कुछ लोग घायलों को खून देने की होड़ में लगे है। सोशल मिडिया पर अपनी तारीफ