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Showing posts from April, 2018

संगठन कहाँ गए अब??

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ये देश क्या था और क्या होता जा रहा है।महान भारत में कितने महान कारनामे हो रहे है। जब गरूर को चोट पहुंचती है तो सारे संगठन सड़क पर उतार आते है हमे ये चाहिए हमे वो चाहिए।लेकिन जब दिल्ली में एक 8 महीने की बच्ची का रेप हुआ तब कोई नही आया,जब हफ्ते भर दरिंदगी का शिकार होती रही बच्चियों की निर्मम हत्या कर दी गयी तब किसी सन्तान को कोई फर्क नही पड़ा।एक के बाद एक छोटी बच्चियो के साथ गैंगरेप हो रहे है और भारत के सारे संगठन सोये हुए है।क्यों? अब न चोट पहुंची तुम्हारे गरूर को।जब तुम लोगो के बीच से छोटी बच्चियो के साथ सामूहिक बलात्कार हो रहे है तो किस बात के संगठन बनाये है तुम सबने केवल अपनी समाज का शक्ति प्रदर्शन करने केलिए।अपनी सामुदायिक मांगों के लिए।किसी को आरक्षण का विरोध करना है,किसी को आरक्षण की मांग करना है,किसी को हरिजन एक्ट में बदलाव का विरोध करना,किसी को फ़िल्म का विरोध करना है क्योकि उस फ़िल्म में पद्मावती की कमर दिख रही थी।धिक्कार है आज सारे संगठनो पर।भारत में हज़ारो की संख्या में संगठन है चाहे तो क्या नही कर सकते।लेकिन अपने स्वार्थ के लिए अपनी माँगो के लिए ही तुम्हारी शक्तियां बाहर आती है।य

अगले जन्म मुझे बेटी मत बनाना

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सब देख रही हूँ मैं,क्योकिं मेरी आत्मा अभी ज़िंदा है मेरे शारीर को तो रौंद डाला।लगातार आठ दिन तक कुरेद कुरेद कर मुझे पीड़ा देते रहे।उनकी रूह न काँपी मेरा बलात्कार करते वक़्त, क्योकि न मैं उनकी बेटी थी,न ही उनकी बहन थी।मेरा धर्म मुस्लिम था तो क्या हुआ मैं भी एक इंसान थी,मुझमें भी जान थी।कहते है बिटिया देवी का रूप होती है लेकिन उस देवी के मंदिर में एक देवी का बलात्कार हुआ।क्यों? क्या इसीलिए कि मैं मुस्लिम थी।ये हिन्दू मुस्लिम की दलीलें जो पुरे हिन्दुस्तान में गूँज रही है वो मुझे भी सुनाई दे रही है।मरने के बाद भी मुझे पीड़ा दे रही है।तुमने अपना ज़मीर,अपनी इंसानियत सब कुछ बेच दिया लेकिन मुझपर रहम नही किया।क्या गलती थी मेरी? जो मेरे शरीर को अपनी जागीर समझ बैठे और नोंच लिया भूखे भेड़ियों की तरह।क्या तुम्हारी कोई अपनी बेटी न थी,तुम्हारी अपनी कोई बहन न थी जो मेरे चेहरे में उसका चेहरा न देख पाए। आज मेरी बलि चढ़ी है और कल किसी और की चढ़ेगी जो मेरी तरह ही होगी।उसे भी पढ़ना लिखना पसंद होगा,उसकी माँ के भी अरमान होंग किे उसकी बिटिया बड़ी होकर डॉक्टर बने,उसे भी आसमान में उड़ने की चाह होगी,उसे अकेले घूमने का डर भ

भारत में ताला लगा दो लेकिन हत्याए तो मत करो।

हरिजन एक्ट के दुष्प्रयोग को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल गिरफ़्तारी पर क्या रोक लगा दी।बँट गया ये भारत। गुरुर तले दब गया।भारत बंद के नाम पर 2 अप्रैल को भयानक उत्पात मचाया गया।लोगों की दुकाने जला दी गयी मेहनत से खड़ी की गयी दुकानों को यूँ ही फूंक दिया।छोटे छोटे बच्चों पर तक वार किया गया,पुलिस चौकिया जला दी और पीट पीट कर युवकों की हत्याए कर दी गयी।आखिर कब तक चलेगा ये जाति के गुरुर का खेल।कब तक अपने घमंड में दूसरों की हत्याएं करते रहोगे।ग्वालियर में जिस युवक की बेरहमी से हत्या कर दी गयी।क्या उस माँ को उसका बेटा वापस दे सकते हो। क्या मिला ये दंगा करके, अपनी संख्या की शक्ति का प्रदर्शन कर लिया।अपनी जाति के बारे में सभी ने सोचा लेकिन इस देश के बारें में किसी ने नही सोचा और यहां के लोगो और सार्वजानिक संपत्ति को तबाह करने चल पड़े। भारत को खतरा बाहरी देशो से कम इस देश के नागरिको से ज्यादा है।वे नागरिक जो समुदायों में इस कदर बंटे हुए है कि भारत को ही तबाह करने पर जुटे हुए है।लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल गयी है जनता का जनता के लिए जनता द्वारा कुशासन। अब्राहिम लिंकन की आत्मा को बहुत ठेस पहुच रही