अगले जन्म मुझे बेटी मत बनाना

सब देख रही हूँ मैं,क्योकिं मेरी आत्मा अभी ज़िंदा है मेरे शारीर को तो रौंद डाला।लगातार आठ दिन तक कुरेद कुरेद कर मुझे पीड़ा देते रहे।उनकी रूह न काँपी मेरा बलात्कार करते वक़्त, क्योकि न मैं उनकी बेटी थी,न ही उनकी बहन थी।मेरा धर्म मुस्लिम था तो क्या हुआ मैं भी एक इंसान थी,मुझमें भी जान थी।कहते है बिटिया देवी का रूप होती है लेकिन उस देवी के मंदिर में एक देवी का बलात्कार हुआ।क्यों? क्या इसीलिए कि मैं मुस्लिम थी।ये हिन्दू मुस्लिम की दलीलें जो पुरे हिन्दुस्तान में गूँज रही है वो मुझे भी सुनाई दे रही है।मरने के बाद भी मुझे पीड़ा दे रही है।तुमने अपना ज़मीर,अपनी इंसानियत सब कुछ बेच दिया लेकिन मुझपर रहम नही किया।क्या गलती थी मेरी? जो मेरे शरीर को अपनी जागीर समझ बैठे और नोंच लिया भूखे भेड़ियों की तरह।क्या तुम्हारी कोई अपनी बेटी न थी,तुम्हारी अपनी कोई बहन न थी जो मेरे चेहरे में उसका चेहरा न देख पाए। आज मेरी बलि चढ़ी है और कल किसी और की चढ़ेगी जो मेरी तरह ही होगी।उसे भी पढ़ना लिखना पसंद होगा,उसकी माँ के भी अरमान होंग किे उसकी बिटिया बड़ी होकर डॉक्टर बने,उसे भी आसमान में उड़ने की चाह होगी,उसे अकेले घूमने का डर भी न होगा और एक दिन उसे भी तुम जैसे भेड़िये उठा कर ले जायेगे बार बार बेहोश करेंगे,बार बार बलात्कार करेंगे जब जब उसे होश आएगा एक असहनीय पीड़ा का आभास होगा।रोम रोम कराह उठेगा।आंसुओं की धारा बह चलेगी लेकिन मुँह से माँ कहने की कराह निकलने से पहले ही उसे फिर से बेहोश कर दिया जायेगा और फिर से बलात्कार किया जायेगा।यदि कोई और भेड़िया शामिल हो गया तो वो भी कहेगा मारने से पहले एक बार मुझे भी करने दो।जब उसकी रूह तार तार हो कर बिखर जायेगी और जब उन भेड़ियों का मन भर जायेगा तो गला घोंट कर उसे भी मार दिया जाएगा।उसकी या तो कमर तोड़ी जायेगी,या उसके हाथ पैर।और वो भी मेरी तरह शांत हो जायेगी।इस सब में वे लोग भी शामिल होंगे जिन्हें हमारी हिफाज़त का ज़िम्मा सौंपा गया है।आज मैं इस दरिंदगी का शिकार हुई हूँ कल कोई और इसका शिकार होगी।फर्क सिर्फ इतना है कि उसका नाम आसिफ न होगा।उसका कोई धर्म न होगा।बस यही चलता रहेगा।हिंदुस्तान में टिमटिमाती मोमबत्तियां मेरी आत्मा को शांति नही दे सकती।मेरी आत्मा तब तक रोती रहेगी जब तक उन दरिंदों को सजा नही मिलती।जब पूरे हिंदुस्तान में यह गूँज सुनाई देगी की आसिफा को न्याय मिल गया तब मेरी आत्मा तृप्त होगी।नही तो ये आसिफा हमेशा कराहती इस भारतवर्ष में भटकती रहेगी। कोई तो मुझे अपनी बेटी मान लो,कभी राखी न बाँधी किसी को,लेकिन फिर भी अपनी बहन मान लो,मुझे और कुछ नही चाहिए बस मुझे न्याय दिला दो।
- शिवांगी पुरोहित

Comments

  1. Nyay milega jarur milega.bharat ki pawan Dhara se adharm ka Nash hoga.abhi mere aasha ki jyoti bujhi nhi hai.so
    Best siwangi ji.you are greatest writer.

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  2. बहुत बढिया दी

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  3. बहुत बढिया दी

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