जीकर देखो एक पीड़िता की ज़िन्दगी
कभी कभी सोचती हूँ कि मैं खुशनसीब हूँ जो मेरे साथ बलात्कार नही हुआ।मुझे लोग पीड़िता नही कहते।मीडिया वाले मेरे मुँह में माइक घुसेड़ कर मेरा चेहरा धुंधला कर मुझसे ये नही पूछते की क्या हुआ था।मैं वो नही हूँ जिसके परिवार को सालों तक कोर्ट के चक्कर काटने है।वो डॉक्टर मुझे शक की निगाहों से नही देखता कि कहीं सहमति से तो नही हुआ।मैं वो नही हूँ जिसे महिला पुलिसकर्मी के आभाव में पुलिस वाले के सवालों का जबाब देने में असमंजस होता है।सोचती हूँ अच्छा है,मुझे देख मोहल्ले के लोग कानाफूसी नही करते।मेरे घरवाले मुझे कोसते नही कि - तू पैदा ही क्यों हुई थी।
हाँ.. मैं वो नही हूँ, लेकिन वो हज़ारों लडकिया जिनके साथ बलात्कार हुआ उन्हें ये सब सहना पड़ता है।उन बलात्कारियो से मैं कहना चाहती हूँ कि एक बार जीकर देखो एक पीड़िता की ज़िन्दगी।एक बार महसूस करो उस परिवार का दर्द और उस बेटी का दर्द।
भारत में प्रतिदिन 85 बलात्कार होते है और एक साल में संख्या कई हज़ारो की होती है जिनमे कई लडकिया जिन्हें या तो मार दिया जाता है या फिर वे खुद आत्महत्या कर लेती है।बाकी बची लडकिया जिल्लत भरी ज़िन्दगी जीती है।बहुत कम लडकिया ऐसी है जो वापस उठ खड़ी होती है।इतना आसान नही होता है अपने साथ हुए बलात्कार को भूलना।हैवानियत की हद तक गुजरने वाली किसी लड़की के मन में झांक कर देखा है किसी ने कितनी पीड़ा छुपी होती है।वो कोर्ट का फैसला आने तक तिल तिल कर मरती है।और उसका परिवार जो असहाय सा कोर्ट के चक्कर लगाता है उसकी सोच यही आकर रुक जाती है कि अब इसका ब्याह कैसे होगा।क्या भारत में 5% लोग भी ऐसे है जो किसी बलात्कार पीड़िता से शादी करें।हमारा भारत जिसे हम माता के रूप में पूजते है वहाँ स्त्री की ऐसी हालत है।जहां हम देवी सरस्वती को पूजते है वहां आज भी कई लड़कियां पढ़ लिख नही पाती।जहां लक्ष्मी को पूजा जाता है वहा लड़कियो का सौदा होता है।लड़कियो की तस्करी होती है उनसे गलत काम करवाये जाते है।मैंने सुना था स्त्री दुर्गा का रूप होती है काश.. वो दुर्गा का विकराल रूप एक बार जाग जाये और इन बलात्करियो के सर से बाल उखाड़ ले,इनकी चमड़ी उधेड़ दे।ताकि दुबारा कोई स्त्री पर अपनी ताकत न आजमाए।या तो ये परिवर्तन आएगा या फिर स्त्री का अस्तित्व ही ख़त्म हो जायेगा।कहीं ऐसा न हो कि भारत "A Nation without women" बन जाए।यदि अपने भारत की गरिमा को बचाना है तो भारत की बेटियो को बचाइये।जनता में इतनी ताकत होती है कि सत्ता को तक हिला दे।उन बलात्कारियों को सज़ा दिलाइए।भले ही वो लड़की आपकी कोई न लगती हो।लेकिन अपनी बेटी या बहन समझ कर उस प्रत्येक निर्भया के लिए लड़िए जिसके साथ बलात्कार हुआ है।जब तक आप किसी और की बेटी के लिए नही लड़ेंगे तब तक आपकी बेटियां भी सुरक्षित नही रहेंगी।इसीलिए नींद से जागिये।
- शिवांगी पुरोहित (मप्र)
बेहद खूबसूरत आलेख...ज्वलंत मुद्दे पर विमर्स शिवांगी....बधाई
ReplyDeleteThank u sir
ReplyDeleteशानदार.... दमदार.... ज़बरदस्त....
ReplyDeleteबहुत खूब शिवांगी
शानदार.... दमदार.... ज़बरदस्त....
ReplyDeleteबहुत खूब शिवांगी
Thnk u
Deleteबहुत अच्छा लिखा है ।
ReplyDeleteBlessings for You.
बहुत अच्छा लिखा है ।
ReplyDeleteBlessings for You.