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Showing posts from June, 2018

एक स्त्री ये भी है

संघर्ष,पीड़ा और स्वाभिमान एक औरत की ज़िन्दगी के अभिन्न अंग होते है।साथ ही साथ रिश्तों के दायरे अक्सर उसको चूर चूर कर देते है।ऐसे रिश्ते जिनसे उसका वजूद हो।बिना उन रिश्तों क...

होने दो जो हो रहा है

होने दो जो हो रहा है.. मक्कारी से पुल टूटने दो..बेशर्मी से बलात्कार होने दो.. क्या फर्क पड़ता है उस सत्ता में बैठे लोगों को.. उन्हें तो चुनाव चुनाव खेलने दो और आप उनकी अंधभक्ति में ...

देश के लिए कुछ करोगे??

ये 'वीर सपूत' जैसा ऐतिहासिक सा लगने वाला शब्द अब केवल सरहद पर अपनी जान देने वाले भारतीय जवानो के लिए उपयोग किया जा सकता है। क्योंकि वे ही वीर सपूत कहलाने लायक बचे है और हम भारत ...