अनु अपने कमरे में बैठी घुटनो पर सर रखकर रोये जा रही थी।लेकिन वहाँ कोई नही था जो आकर उसके आँसू पोंछे या उसे दुलार कर चुप करा दे।क्योंकि यह उसका बचपन नही था जो उसकी माँ उसे गोद में लेकर चुप करा देती या उसके बाबा उसे कंधे पर बिठाकर घुमाने ले जाते। यह तो एक ऐसा पड़ाव था जहाँ अनु अठारह साल की हो गयी थी और कल ही उसे देखने वाले आये थे उसके बाबा ने उसका रिश्ता पक्का कर दिया था।अब कुछ ही दिनों में अनु अपने घर से परायी हो जायेगी। थोड़ी देर यूं ही सुबकती रही फिर जाने क्या सोच कर रसोई की तरफ गयी जहाँ उसकी माँ खाना पकाते हुए फोन पर सभी रिश्तेदारो को यह खुशखबरी दे रही थी की अनु की शादी पक्की हो गयी है। माँ के फुरसत होने पर अनु ने हिम्मत जुटाकर कहा- माँ मेरी शादी की इतनी जल्दी क्यों पड़ी है अभी तो मैंने 12वी ही पास की है।क्या मैं कॉलेज नही जाउंगी ?? मेरा सपना कैसे पूरा होगा? मैं पीएससी की परीक्षा नही दूंगी क्या?? बाबा ने मुझे बचपन से यही सपना दिखाया था न की मै बड़ी होकर अधिकारी बनूंगी। तो फिर बाबा मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे है?? अनु एक साँस में सब कहती चली गयी और जब चुप हुई तो उसकी माँ बोली - तुझे घर की...