टूटता भरोसा

लोग बदलते नहीं, बेनकाब होते है।
न जाने मासूम चेहरे के पीछे
कितनी चालाकी छुपी होती है।
किस पर भरोसा करें
इस फरेब भरी दुनिया में।
अब तो अपनी ही रूह से
विश्वास टूटता सा है।
अब कहीं खुद ही खुद से
धोखा न खा बैठूं।
क्योंकि कीमत भरोसे की
चिल्लर हो बैठी है।
धोखा देकर ये न समझो
की तुम होशियार कितने हो।
जरा ये तो सोचो तुम पर
विश्वास कितना था।
- शिवांगी पुरोहित

Comments

  1. कितनी सच्चाई है इस पोस्ट में good very good

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