एक खत माँ के नाम

प्यारी माँ,
तुम्हे जाते वक्त ये पता होना चाहिए था कि तुम्हारे जाने से मेरी ज़िंदगी कितनी कठिन हो जाएगी, जीवन के हर पड़ाव पर एक अधूरापन होगा जो तुम्हारी कमी का अहसास कराएगा। यदि तुम आज ज़िंदा होतीं तो जिंदगी कुछ और ही होती। यदि तुमसे बात करने का एक मौका मिले तो मैं सिर्फ एक बात पूछुंगी "क्या खुद को मारने से पहले एक पल भी ये खयाल नही आया, कि तुम्हारे दोनों बच्चों का क्या होगा?" कुछ सवाल ऐसे हैं जो मेरे के साथ ही चले जायेंगे, इनका जबाब मुझे कभी नही मिलेगा। कभी कभी बहुत तकलीफ होती है, मन करता है कि तुम होती तो तुम्हारी गोद में सिर रख कर रो लेती और तुम अपने आँचल से मेरे आँसू पोंछ देती और ये कहती कि "सब ठीक हो जाएगा। मैं हूँ न"...ये ममता भरा आलिंगन कभी मिला ही नही माँ, अम्मा के बूढ़े हाथों को काम से कभी फुर्सत ही नही मिली। तुम होती तो उनका बुढापा इतना कष्टमय नही होता। यकीन मानो, आज वो अपनी संगीता के गुण गा रही होतीं। तुमने किसी को मौका ही नही दिया। मुझे तो इतना भी नही कि तुम्हारा चेहरा याद रख सकूँ। बार बार तस्वीरो में देखकर तुम्हें पहचानती कि माँ ऐसी दिखती थी। चाहूं तो सब हालातों और संघर्षों की जिम्मेवार तुम्हे ठहराकर, तुमसे नफरत कर लूँ। लेकिन नही कर पाई कभी, माँ हो न, वो भी मेरी सिर्फ मेरी..जो थी कभी.. और बस वही थी कोई और नही बन पाया। 
एक बात कहूँ सबको अपनी माँ प्यारी होती है, और सबके अपने बच्चे हैं, तेरे बच्चे को कोई अपना बच्चा नही बना पाया। क्योंकि मुझे ममता में कोम्प्रोमाईज़ नही चाहिये था। कपटपूर्ण ममता के ढोंग से भले मैं तेरी ही बेटी कहलाना पसंद करुँगी। तुमसे ये नही कह सकती कि वापस आ जाओ न, क्योंकि ये हो नही सकता। लेकिन अगर ऐसा हो पाता तो दोबारा कभी तुम्हे जाने नही देती। तुमने जो दिया है उनमें कुछ धुंधली सी बचपन की यादें है, एक अनन्त अधूरापन है जो ताउम्र रहेगा और तुम्हारी अस्थमा की बीमारी। मैं इस बीमारी को गंभीरता से नही लेती क्योंकि मेरे लिए ये तुम्हारी तकलीफों का अहसास है... 
19 साल हो गए तुम्हे ये दुनिया छोड़े। तुम्हारी छाँव बस 3 साल ही मिली मुझे। लेकिन तुम्हारा अहसास हमेशा साथ रहेगा। भगवान से बस एक ही चीज़ माँगी है कि अगले जन्म मुझे माँ जरूर देना, और माँ तुम ही होनी चाहिए।

- तुम्हारी चीकू

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