अधधविश्वास में अंधे हुए लोग


इन दिनों किसी ने बहुत खूब कहा है की "रेप होने पर मोमबत्तिया जलाते है और रेप का आरोपी पकड़ा गया तो शहर के शहर जला दिए"। लेकिन ऐसा क्यों?? कुछ दिन पहले 70 बच्चों की मौत हो गयी थी उस पर लोग चुप रहे। तब सड़को पर चिड़िया भी नही उतरी लेकिन एक इंसान रुपी भगवान , जिसे लोगो के अंधविश्वास ने भगवान बना दिया उसका आरोप साबित होने भर से 30 लाख लोग सड़को पर उतर आये। एक बलात्कारी के इन समर्थको ने 40 बेगुनाहो की हत्या कर दी। 300 करीब लोग घायल हो गए और यातायात व्यवस्था भंग कर दी। इन सभी करामातों से हरियाणा, पंजाब सहित पांच राज्य प्रभावित हुए। भारत के ये दंगाई अंधविश्वासी लोग केवल उस इंसान में भगवान ढूंढ पाये जो उन्हें अपनी वाणी से बेबकूफ बनाता रहा।जनता केवल उसे अपना लीडर या भगवान बनाती है जो अच्छा बोलता हो और माइक पर कहानिया अच्छी सुनाता हो। पहले लोग ढोंग में फस जाते है और बाद में पर्दा उठने पर सच्चाई सहन नही कर पाते है। जो लोग आज एक बलात्कारी बाबा के समर्थन में सड़को पर उतरे है,जो लोग मीडिया के सामने रो रो कर बता रहे थे की बाबा बेगुनाह है उन लोगो में से कितने ही ऐसे होंगे जो भगवान में विश्वास नही रखते जो भगवान् में आस्था और श्रद्धा नही रखते लेकिन एक ढोंगी इंसान को भगवान् मानने से भी पीछे नही हटते। और उन ही लोगो ने बाबा के पकडे जाने पर देश भर में इतना उत्पात मचाया, बसो और ट्रेनों में तक आग लगा दी और न जाने कितने लोगो को मार डाला। आखिर उन लोगो की क्या गलती थी अब उनके परिवारो पर क्या बीत रही होगी। जब शासन की गलती से किसी की मौत होती है तो ऐसे लोग निंदा करने और दंगा करने से पीछे नही हटते और आज लोगो ने ही हत्याए करनी शुरू कर दी तो इनके साथ क्या किया जाना चाहिए। मेरे हिसाब से तो इन सब को भी इनकी सज़ा के तौर पर इनके बाबा जी के साथ जेल में डाल देना चाहिए। ताकि इन लोगो को बाबा से बिछड़ने का विरह न सहन करना पड़े और फिर सब जेल मे मिलकर भगवान और भक्त का खेल खेलते रहेंगे। देश में 6 हजार धार्मिक डेरे। 32 हजार धर्म गुरु है।वे दावा करते हैं कि हम समाज को दिशा दे रहे हैं। शान्ति और भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। मगर दुर्भाग्यपूर्ण है कि उसी समाज में शांति कायम रखने के लिए पुलिस-फोर्स की जरूरत पड़ती है। कानूनी डंडा चलाना पड़ता है। यहां धर्मों की विश्वसनीयता पर सवाल है। सच तो ये है कि धर्मों ने मिलकर देश को खोखला किया है। वे देश की एकता में अड़चन हैं। हमें चीन और पाकिस्तान से खतरा नहीं। असली खतरा धर्मों से है। धर्म देश की आंतरिक सुरक्षा में बाधा हैं।हम देश की आंतरिक समस्याओं से नही लड़ पा रहे है ।सरकारी तंत्र धर्मों के आगे कमजोर पड़ जाता है। पहले बाबाओं की सुरक्षा में पुलिस लगाओ। उनका रुतबा बढ़ जाएगा। वे गलत काम करेंगे। फिर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस दौड़ाओ। अजीब हालात हैं। संत समाज खुद भटका नजर आता है। वरना गुरुनानक देव, कबीर, फ़रीद, महात्मा बुद्ध को जेड सिक्योरिटी की जरुरत नहीं पड़ी। इसमें कसूर बाबाओं का नहीं, बल्कि हमारी अपनी कमजोरियां हैं। क्योंकि हमारी अपनी बुद्धि गिरवी है। धर्मों ने अंधा इतना बना दिया कि हम ठीक से सोच ही नहीं पा रहे। अहंकारी इतना बन दिया कि अपने खिलाफ भी नहीं सुन सकते है। और साथ ही साथ उन लोगो के खिलाफ नही सुन सकते जिन्हें हमने अपना भगवान बना कर बैठा दिया है। और जब वो भगवान अपना हैवानी रूप दिखाता है तो हम सारी इंसानियत भूल कर उसका साथ देते है। अन्धविश्वास में अंधे हो कर उत्पात मचाते है। हम भारत ही गरिमा को दाव पर लगा देते है और भक्ति के नाम पर यूँ हिंसा कर दुनिया भर में भारत को आलोचना का केंद्र बना देते है। आखिर कब हम सुधरेंगे।कब अन्धविश्वास का पर्दा हमारी आखो से उठेगा और कब हम सही मायने में भारतीय बनेंगे।
- शिवांगी पुरोहित

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