ये कैसी दरिंदगी
उनकी रूह न काँपी मेरा बलात्कार करते वक़्त, क्योकि न मैं उनकी बेटी हूँ,न ही उनकी बहन हूँ। क्या हुआ मैं भी एक इंसान हूँ,मुझमें भी जान हूँ। कहते है बेटी देवी का रूप होती है, भले ही मुझे देवी कह लो पर मुझमे वो शक्ति नही है कि मैं तुम्हे रोक सकूँ। तुमने अपना ज़मीर,अपनी इंसानियत सब कुछ बेच दिया लेकिन मुझपर रहम नही किया।क्या गलती थी मेरी? जो मेरे शरीर को अपनी जागीर समझ बैठे और नोंच लिया भूखे भेड़ियों की तरह। यही होता है यहाँ और यही होता रहेगा। मेरी तरह और भी देवियाँ होगी 2 महीने की हो या 12 साल की, उसे भी आसमान में उड़ने की चाह होगी,उसे अकेले घूमने का डर भी न होगा और एक दिन उसे भी तुम जैसे भेड़िये उठा कर ले जायेगेे,बार बार बलात्कार करेंगे जब जब उसे भी एक असहनीय पीड़ा का आभास होगा।रोम रोम कराह उठेगा। उसे भी मेरी तरह मरने को छोड़ दोगे। उसकी भी आंतें काटी जायेगी या तो जिएगी इसी दम्भ में कि उसके साथ कुछ हुआ था या मर जायेगी।" ये कहानी किसी एक बच्ची की नही है ये तो भारत की हजारों बच्चियों की कहानी है चाहे दिल्ली में हुए 2 महीने की बच्ची के बलात्कार की बात करें या मन्दसौर में हुए 7 साल की बच्ची के सामूहिक बलात्कार की। मामले अलग अलग है लेकिन अपराध एक ही है और पीड़ा भी एक जैसी। रूह नही काँपती होगी उन जाहिलों की जो अपनी वासना को शांत करने के लिए छोटी बच्चियो का बलात्कार कर देते है। उनके लिए तो मौत की सजा भी कम है। कुछ बेवकूफ ये दलील देते है कि लड़कियों के अंगप्रदर्शन से पुरुष आकर्षित होते है और बलात्कार होता है। लेकिन उस बच्चियों के बलात्कार पर भी यही दलील देंगे क्या? क्या अंगप्रदर्शन करने से कोई स्त्री आपके पुरखों की जायदात बन जाती है जो आप उसके शरीर पर अपना अधिकार समझ बैठते है।एक और दलील जो कहती है कि प्रकृति का नियम है अपने से विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण होना।तो मैं उन लोगो से पूछती हूँ कि क्या प्रकृति का नियम एक छोटी बच्चियों का बलात्कार करने की इज़ाज़त देता है? हैवानियत की हद तक गुजरने वाली किसी लड़की के मन में झांक कर देखा है किसी ने कितनी पीड़ा छुपी होती है।वो कोर्ट का फैसला आने तक तिल तिल कर मरती है।और उसका परिवार जो असहाय सा कोर्ट के चक्कर लगाता है उसकी सोच यही आकर रुक जाती है कि अब इसका ब्याह कैसे होगा।क्या भारत में 5% लोग भी ऐसे है जो किसी बलात्कार पीड़िता से शादी करें।हमारा भारत जिसे हम माता के रूप में पूजते है वहाँ स्त्री की ऐसी हालत है।जहां हम देवी सरस्वती को पूजते है वहां आज भी कई लड़कियां पढ़ लिख नही पाती।जहां लक्ष्मी को पूजा जाता है वहा लड़कियो का सौदा होता है।लड़कियो की तस्करी होती है उनसे गलत काम करवाये जाते है।मैंने सुना था स्त्री दुर्गा का रूप होती है लेकिन वो दुर्गा का रूप भी उस छोटी बच्ची को इस हैवानियत से बचा नही पाया। भारत में प्रतिदिन 15 बलात्कार होते है और एक साल में संख्या कई हज़ारो की होती है जिनमे कई लडकिया जिन्हें या तो मार दिया जाता है या फिर वे खुद आत्महत्या कर लेती है।बाकी बची लडकिया जिल्लत भरी ज़िन्दगी जीती है।बहुत कम लडकिया ऐसी है जो वापस उठ खड़ी होती है।इतना आसान नही होता है अपने साथ हुए बलात्कार को भूलना। उनकी आत्मा रोती होगी उस हादसे के बारे में सोच सोच कर कि अगले जन्म भगवान् उन्हें बेटी न बनाये। भारत में कुछ लोगों को ये घटनाये चोरी की घटनाओं की तरह मामूली सी लगती है। क्योकि वो बलात्कार पीड़िता न तो उनकी बहन होती है न बेटी।
- शिवांगी पुरोहित
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