माय लाइफ माय चॉइस

मुझे लगता है कि अभी भी लोग रूढ़िवादी परंपराओ से घिरे हुए हैं। बहुत से लोग आधुनिकता के साथ बदलने की कोशिश ही नही करते। हम तीन लड़कियां जो छटवी कक्षा से अब तक साथ में पढ़े। लेकिन आज उन दोनों कि जिंदगी को देख कर मुझे लगता है कि मानो माय लाइफ लाय चॉइस इनके लिए बनी ही नही है। मेरी एक सहेली जिसके घर वालों ने 11वी पास करने के बाद उसकी सगाई कर दी।क्योकि वो 18 साल की हो गयी थी। सगाई के वक्त लड़के के पिता ने पूछा कि बेटा आगे पढ़ोगी?? तो उसने कहाँ- हाँ मैं कॉलेज पढूंगी। लड़के के पिता ने कहा- ठीक है तुम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ना। लड़का उससे दो साल आगे थे।जब हमारे बारहवी के बोर्ड पेपर आने वाले थे तब फ़रवरी में ही उसकी शादी कर दी गयी।जब बोर्ड के एक्जाम देने पहुची तो स्कूल ड्रेस में, मांग में सिन्दूर, गले में मंगलसूत्र और हाथ भर के चूड़ियाँ। पूरे विद्यार्थियों की भीड़ में मेरी सहेली की तरह ऐसी 3 लड़कीयाँ और थी जिनकी बारहवीं पास करने के पहले ही शादी कर दी गयी। अब उसकी शादी को डेढ़ साल हो गए है न तो उसे कॉलेज जाने दिया न आगे पढ़ने दिया और अब कुछ दिन बाद वो एक बच्चे की माँ बनने वाली है। मुझे अच्छे से याद है हमारी तीन की तिगड़ी। किसी से डरते नही थे हम.. वो हमेशा कहती थी कि देखना एक दिन में पुलिस ऑफिसर बनूँगी न तब पूरा पिपरिया मेरे खौफ में रहेगा। इन लड़को की तो ऐसी धुलाई करुँगी। हम दोनों उसकी डींगे सुनते रहते थे। आज जब भी सोचती हूँ इस बारे में तो लगता है कि जो हम सोचते है हमेशा वैसा नही होता। वो कभी जताती नही है कि उसके मन मुताबिक कुछ भी नही हो रहा। वो बताना नही चाहती कि उसकी स्तिथि कोई और भाँप ले। मेरी सहेली का परिवार गरीब नही है न ही उनकी चार पांच बहनें है। जल्दी शादी करने का कारण ऐसा कुछ नही है। उसके पिता सरकारी नोकरी में है और उसकी एक बड़ी बहन भी थी जिसकी भी 18 की उम्र में शादी हो गयी।शायद वो रूढ़िवादी परंपरा और वो सोच ही उसकी ऐसी ज़िन्दगी का कारण है। वही मेरी दूसरी सहेली जिसके साथ मेरा लगाव बहुत ज्यादा था। पढाई में बहुत अच्छी और समझदार है। लेकिन उसकी भी 12 वी पास करते ही कुछ दिनों बाद सगाई हो गयी। न तो उसने लड़के को देखा न ही लड़के ने उसे देखा। बस पहली बार में ही सगाई हो गयी और चार पांच महीने बाद शादी। देखने में सब सामान्य लगता है लेकिन उसके मन का द्वन्द केवल उसे और मुझे पता है कि उसकी शादी एक ऐसे लड़के से हुई है जो उसके लायक ही नही है। शादी के पहले से ही बात बात में झुंझलाना,चिल्लाना और बुरी तरह से बात करना। उसे बात बात में दोषी ठहराना और जिद्द करना,बच्चों की तरह गुस्सा होना। 21 वी सदी में एक लड़का अपनी पत्नी से कहता है कि तुम फेसबुक और व्हाट्सऐप नही चलाओगी, लोग देखेंगे अच्छा नही लगता। वो शादी के पहले से लड़के के इस स्वभाव को जानती थी लेकिन वो एक ऐसे समाज का हिस्सा है जहाँ लड़की की सगाई टूटना मतलब लड़की में कोई खोट है। वो भी गरीब परिवार से नही है अपने पिता की इकलौती बेटी है और उसकी शादी में पिता ने 30 लाख रूपये लगाये। लेकिन मेरी दोनों सहेलियां सिंदूर और मंगलसूत्र के धागे में उलझ गयी। उनकी जिंदगी में माय लाइफ माय चॉइस क्यों नही है?? क्या कोई जबाब देगा।

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