क्या gst को सकारात्मक ले सकते है??

1 जुलाई 2017 को भारत सरकार की ओर से gst ( goods and service tax) लागू किया गया। gst के आते ही देश भर में भिन्न भिन्न आलोचनाएं शुरू हो गयी। यहाँ तक की वेे लोग भी इस आलोचना में शामिल हो गए जिन्हें gst के मायने ही नही पता।लोगो की अवधारणा सरकार के प्रति कुछ ऐसी बन गयी है की सरकार कभी जनता का भला नही कर सकती। पिछले वर्ष नोट बंदी के कारण लोगो की मानसिकता सरकार विरोधी हो गयी है। लेकिन क्या हम gst को सकारात्मक ले सकते है?? बिलकुल ले सकते है। लेकिन परेशानी वाली बात यह है कि जिस ओर लहर चल रही है लोगो की सोच उसी तरफ है। जब अधिकांश लोग किसी चीज़ का विरोध करते है तो इसका मतलब यह नही होता की विरोध सही है। और रही बात कर प्रणाली की वह तो काफी सालो से चली आ रही है।और मुगलो के समय में कर वसूलने का तरीका भी बहोत खतरनाक था जिससे सभी वाकिफ है। उस समय की कर प्रणाली इतनी कठोर थी की जितना कमाते नही थे उतने से ज्यादा कर देना पड़ता था और कर न देने पर भयावह अत्याचार सहना पड़ता था।यदि तुलना की जाय तो भारत सरकार जनता के साथ ऐसा कुछ तो नही कर रही है। gst में जहा कुछ वस्तुओं पर कर बढ़ाये गए है वही कुछ वस्तुओ पर घटाए भी गए है। वही gst को मेहँगाई से भी जोड़ा जा रहा है जो की सही भी है क्योंकि देश की अधिकांश गरीब जनता की परेशानिया इससे बढ़ गयी है। लेकिन सरकार ने गरीबो के लिए राशन व्यवस्था काफी पहले चालु कर दी थी। जिनका लाभ उन्हें मिल भी रहा हैं।
16 rs में गेहूं खरीदकर सरकार 2 rs मेंं बेचती है,50 rs का केरोसिन 15 में बेचती है,40 कि शक्कर 26 मेंं बेचती है,25 का चावल खरीदकर 1 rs में बेंचती है।
केवल इतना ही नही सरकार बहुत कुछ करती है जैसे की लाखो रुपये टीचरो को तनख्वाह देकर बच्चो को मुफ्त पढवाती है।6 करोड़ शौचालय मुफ्त में बनवाती है, लेकिन न इस्तेमाल करने वाले उस शौचालय में अपनी किराने की दूकान खोल लेते है और दूसरी और gst को कोसते है।देश के कुशल सञ्चालन के लिए सरकार को भी राजस्व की आवश्यकता पड़ती है। जिसकी पूर्ती वह gst के माध्यम से कर रही है। यदि सरकार कर नही लगायेगी तो आय कहाँ से पायेगी। और रही बात आलोचनाओ की तो वह केवल जनता को भड़कने का तरीका है। अब हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री की एक अभिनेत्री राखी सावंत को ही देख लीजिये। वेसे तो विवाद मचाने में उनका नाम सबसे ऊपर है लेकिन gst लागू होने पर उन्होंने अपने बयान से सबको शर्मसार कर दिया था। उन्होंने इतना भद्दा और अश्लील बयान दिया था की सुनने वालो को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा की यह एक भारतीय नारी है जो अपनी पब्लिसिटी के लिए मीडिया के सामने, पूरेे देश के सामने gst को इतनी अश्लीलता से पेश किया। वेसे gst को लेकर इस प्रकार के गरीब लोगो की राय लेना उचित नही है। बस सोच बदलने की बात है जो धीरे धीरे बदल जायेगी।लेकिन असल परेशानी मध्यम वर्गीय परिवारो को झेलनी पड़ेगी और खासकर सामान्य वर्ग को। क्योंकि वेसे ही उन्हें रोजगार के क्षेत्र में काफी परेशानिया भोगनी पड़ती है और सरकार द्वारा उनके लिए कुछ खास नही किया गया है।
जनता परेशान इसिलिये भी है क्योंकि उन्हें सरकार जो नये नये कदम उठती है उससे डर लगता है। नोटबंदी को अभी ज्यादा समय नही गुजरा है। उस सदमे से जनता ठीक से उबर ही नही पायी थी की सरकार ने gst लाकर जनता के सर का बोझ बढ़ा दिया।
- शिवांगी पुरोहित

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