कब समझेंगे हम??

शायद भारत की किस्मत में यही लिखा है की हर महीने देश के किसी न किसी हिस्से में कोई न कोई आंदोलन या दंगा फसाद होना ही है। कभी हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई,कभी किसान आंदोलन,कभी राम रहीम के चेलो का आतंक और अब वाराणसी में छात्राओ का आंदोलन।Bhu का मामला इस वक्त काफी गरमाया हुआ है। मीडिया से लेकर चौपालो तक इस बात की चर्चा चल रही है और लोग अपना अपना मत दे रहे है। एक तरफ छात्राओ की मांग सुरक्षा की है और दूसरी और वे यह भी कहती है की उन्हें रातों को घूमने से न रोका जाये।उनमे और पुरुषो में यह भेद न किया जाय। यदि पुरुष सुरक्षित रूप से रातो को घूम फिर सकते है तो लड़कियो को न रोका जाये। सीधा सीधा अर्थ यह है की भारत की अधिकांश लडकिया पुरुषो के समकक्ष होना चाहती है।इसीलिए bhu की छात्राएं मिलकर आंदोलन कर रही है और ये संकेत कर रही है की वे पुरुषो से कम नही है वे भी दंगा फसाद कर सकती है और अशांति फैला सकती है।यदि वे सचमुच पुरुषो की भाँति है तो लाठी चार्ज होने पर रोना धोना क्यों?? जब पुरुषो का आंदोलन होता है तो पुलिस सारी हदें पार कर देती है।लड़के इतना पिटते है की खून से लथपथ हो जाते है तो फिर इस बार बात लड़कियो की है तो क्या भेद करना उचित होगा?? यदि bhu की छात्राएं पुरुषो को पीछे छोड़ना चाहती है तो उन्हें मजबूती से खड़े रहना होगा न लाठी चार्ज से डरे, न ही सरकार से। जब आंदोलन खड़ा कर ही दिया है उसे जारी रखना होगा नहीं तो पढाई लिखाई छोड़ के सड़को पर उतरी छात्राओ का मज़ाक बन जायेगा। रही बात उस लड़की की जिसके साथ रात में घूमते वक्त छेड़खानी हुई थी या तो उसे छेड़छाड़ करने वालो का पुरुषो की भांति सामना करना चाहिए था या फिर अपनी सुरक्षा को देखते हुए रात में घूमना नही चाहिए था। ये बातें हमारे आस पास की चौपालो पर सुनने को मिल रही है की इस स्थिति में या तो छात्राएं पुरुष बन जाये या फिर महिला बन जाये। यदि छात्राएं पुरुष बनकर रात में अकेला घूमना चाहती है तो पुरुष की भांति अपनी रक्षा स्वयं करना सीखे ताकि कोई उन्हें क्षति न पहुचाये और यदि वे महिला बनी रहना चाहती है तो सभ्य लड़कियो की तरह अपनी मोज मस्ती दिन में पूरी कर लें और रात में घूमने की बजाय पढ़ लें क्योंकि bhu एक शिक्षण संसथान है जिसका नाम दंगा फसाद के रूप में सामने आ रहा है। काश एक शिक्षण संसथान होने के नाते bhu का नाम शिक्षा में उज्जवल होता तो उसके साथ साथ भारत का भी गौरव बढ़ता।

- शिवांगी पुरोहित

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