भारत के विभिन्न राज्यो में किसान आंदोलन के बाद भी किसानो की परेशानियां ख़त्म होती नही दिख रही हैं।हजारों रुपयो का प्रीमियम भरने के बाद भी किसानो को मुआवज़ा नही मिल रहा है।यहाँ किसानो का कई करोड़ का बीमा अटका हुआ है और सरकार की ओर से अभी तक कोई सर्वे शुरू ही नही किया गया।कभी कम बारिश से खेतो में खड़ी धान सूख जाती है तो कभी बहुत ज्यादा बारिश से उड़द की फसल चौपट हो जाती है।फसल की ऐसी हालात से किसानो को मुनाफा क्या,लागत भी नही मिलती और सरकार से कोई मुआवज़ा भी नही मिलता।बात मप्र की करे तो यहाँ इस समय कुल 85 लाख छोटे बड़े किसान है।इसमें करीब 50 लाख किसानो पर 60 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ है और अभी तक किसी का क़र्ज़ माफ़ नही किया गया है।वही उप्र में योगी सरकार ने पहले तो सितम्बर 2017 में किसानो के 1.5 लाख के कर्ज पर 1 पैसा माफ़ कर किसानो को असमंजस में डाल दिया और फिर जाने क्या हुआ की आचानक 9 अक्टूबर 2017 को किसानो के क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा कर दी।उप्र के 12 लाख 61 हज़ार किसानो का 75% क़र्ज़ सरकार ने को-ओपरेटिव बैंक को चुकाया और 25% क़र्ज़ माफ़ कर दिया।साथ ही साथ किसानो के बंद किये गए खाते वापस खुलवा दिए गए।उप्र का नाम किसा...