अब तो बंद करो आरक्षण

भारत के हर एक हिस्से में लोग आरक्षण का विरोध करते है इसके विपरीत आरक्षित वर्ग अपना आरक्षण छोड़ने को तैयार नही होता है। आंदोलनों से लेकर सोशल मीडिया तक आरक्षित वर्ग भेदभाव की दलील देता है और एक मुख्य मांग यह रखता है की मंदिरो में पुजारी उन्हें बनाया जाये। सन् 1949 में केरल में त्रावनकोर देवस्वाम बोर्ड की स्थापना की गयी थी। इस वर्ष लोक सेवा आयोग की तर्ज पर लिखित परीक्षा और साक्षत्कार के बाद इस बोर्ड ने 62 पुजारियो की भर्ती की जिनमे 36 गैर ब्रम्हाण है जिनमे 6 दलित शामिल है।यह मांग कई सालों से चली आ रही थी की  अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगो को पुजारी बनाया जाये। पिछली बार पिछड़ा वर्ग को शामिल किया गया था और अब sc st को भी शामिल कर लिया गया है। इससे केरल के आरक्षित वर्ग को भी राहत मिली है की जो वे वर्षो से चाहते थे वो आखिरकार उन्हें मिल गया है।कथित रूप से दलितों से भेदभाव की शुरुआत मंदिरो से होती है और उनका यह कहना होता है की मंदिरो में उन्हें जाने नही दिया जाता। यह एक जातिगत तथ्य है जिसे मंदिरो से तो जोड़ा जा सकता है लेकिन शिक्षा और नोकरी से नही। यहाँ आकर मंदिरो वाला मामला ख़त्म हो जाना चाहिए क्योंकि समय बदल गया है और  मंदिरो में प्रवेश और पुजारियो का दलित होना जैसी मांगे पूरी कर दी गयी है।तो फिर शिक्षा और नोकरी के क्षेत्र में आरक्षण कब तक चलेगा?? आरक्षण के कारण योग्यता से खिलवाड़ निरंतर चल रहा है।
कथित रूप से व्यापम की शिक्षाकर्मी भर्ती परीक्षा में  अंग्रेजी विषय में  - 2.5  माइनस अंक पाने वाला SC उम्मीदवार अपने कोटे में पहले स्थान में आया है। ये परिणाम वाकई आश्चर्यचकित करने वाला है। इसके बाद यदि अनारक्षित वर्ग आरक्षण का विरोध करे तो वह गलत क्यों है और यदि इन विरोध करने वालो में महिलाये शामिल हों तो उनसे यह प्रश्न किया जाता है की उन्हें महिला आरक्षण मिल रहा है तो वे आरक्षण का विरोध क्यों करती है।यदि वे महिलाये आरक्षण छोड दे तो उन्हें आरक्षण का विरोध करने की आजादी है और यदि वे अपना आरक्षण नही छोड़ती तो विरोध न करे क्योकि वे महिला आरक्षण का लाभ उठा रही है।
यही सोच महिलाओ को समाज से पृथक कर देती है।अब सवाल यह उठता है की यदि महिलाओ को आरक्षण मिलता है तो upsc की परीक्षा में अधिक अंक लाने वाली सामान्य वर्ग की महिला को कम अंक लेने वाले दलित पुरुष से निम्न स्थान क्यों मिलता है??उसकी भर्ती उसकी योग्यतानुसार क्यों नही हुई और इस स्थान पर महिला आरक्षण क्यों नही मिला?? इस प्रकार आरक्षण केवल पुरुषो की ही समस्या नही बल्कि महिलाओ की भी समस्या है।सन् 2020 में आरक्षण को 70 साल पुरे हो जायेगे। क्या अब सरकार आरक्षण बंद करेगी??
- शिवांगी पुरोहित

Comments

  1. आरक्षण नही है ये
    ये प्रत्यक्ष रूप से अनारक्षित वर्ग का भक्षण है।
    यह एक अत्यन्त गंभीर मुद्दा है जिसपे पूरी तरह से सरकार ने चुप्पी साध रखी है।
    समझ नही आता वोट बैंक की खातिर या नोट बैंक की खातिर।

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