मेरी प्यारी दादी माँ

जाने कितने संघर्षों में
उन्होंने हमें पाला था
वो दौर ही ऐसा था
जब खुशियों पर ताला था
मां के जाने के बाद
दादी गोद में सुलाती थी
हर ख्वाहिश पूरी कर
हाथ से खाना खिलाती थी
जाने कैसे दिन थे वो
कई रात जागते बिताती थी
हर मुश्किल कठिनाई से
हम बच्चों को बचाती थी
उस सूने से घर में
काली रातें काटा करती थी
हम बच्चों की खातिर
हर बोझ लादा करती थी
घर में सब कुछ था
किस बात की कमी थी
परिवार तो पूरा था
मां के जाने की गमी थी
धीरे-धीरे हमने
यूं ही जीना सीख लिया
दादी मां के आंचल में
लिपटकर सोना सीख लिया
हमें पाल पोस कर बड़ा किया
इस कदर समझदार बनाया
हर मुश्किल से लड़ सके
खुशियों का हकदार बनाया
आज मेरा अस्तित्व है
तो सिर्फ दादी के कारण
जो भी मेरा व्यक्तित्व है
वो सिर्फ दादी के कारण
मुझे हर सीख दी है
जीने की राह बताई है
मेरे हर गलत कदम पर
हमेशा चिंता जताई है
मुझे यूँ काबिल बना दिया
कि कठिनाईयों से लड़ सकूं
हर तकलीफ पार कर
एक अच्छा इंसान बन सकूं
- शिवांगी पुरोहित


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