अब व्यभिचार जायज

(मेरे लेखन की एक मर्यादा है इसीलिए मैं इन विषयों पर खुल कर नही लिखती। लेकिन #497 के लिए जो लोग वकालत कर रहे है वे ध्यान रखें उनकी वकालत उनके निजी जीवन पर भी लागू होती है।)
जिस तरह की ढील सुप्रीम कोर्ट दिए जा रहा है उसे देख कर लगता है भारत में न्यायपालिका कोई पकड़म पकड़ाई का खेल बन गया है। जो हाथ में आता है वो आउट। जितनी चीजे भारत में हमेशा से प्रतिबंधित या कड़े कानून के दायरे में रही है उन्हें सुप्रीम कोर्ट एक के बाद एक छूट देता जा रहा है। पहले प्रोमोशन में आरक्षण को राज्य सरकारो पर छोड़ दिया शायद ये सोचते हुए की सुप्रीम कोर्ट के फैसले कोई मानता नही कोई कड़ा फैसला सुनाये तो केंद्र सरकार अध्यादेश ला देती है। अब सम्भलो अपना अपना जिसको प्रोमोशन में आरक्षण देना है दो नही देना है मत दो। तो क्या मतलब रहा सुप्रीम कोर्ट का? फिर उसके बाद सम लैंगिकता को वैद्य करार दे दिया। ठीक है चंद लोगों को ख़ुशी मिल गयी। मुबारक हो। फिर व्यभिचार को जायज करार दे दिया। हद है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे महिलाओं के पक्ष को जोर देते हुए जायज ठहराया और पत्नी पति की संपत्ति नही है कहकर धारा 497 की बलि चढ़ा दी। अब बलात्कार को भी जायज करार दे दीजिये। इस भारत का उद्धार हो जायेगा। इन सब फैसलों को परिणाम तक पहुचाने से पहले एक बार भी ये सोचा कि आप भारत में रहते हैं। भारत क्या है क्यों है कैसे है... ये जान लीजिये.. भारत अपनी संस्कृति सभ्यता और आचरण से जाना जाता है। जहाँ शादी एक पवित्र संस्कार माना जाता है। आधुनिकता के नाम पर भारत को बदतर मत बनाइये। भारत जिन चीजो में पीछे है उसमे आगे लाने का प्रयास करो न की फूहड़पन में दुसरे देशों से समानता करो। जहाँ भारत का एक भी विश्वविद्यालय दुनिया के टॉप 200 विश्विद्यालयों में आता ही नही है। जहाँ शिक्षा को लेकर भारत चीन और अमेरिका से पीछे चल रहा है वहां अपना स्तर बढ़ाने की बजाये समलैंगिकता, लिव इन और व्यभिचार को जायज घोषित कर के इस देश को कहाँ ले जाना चाहते हैं आप। भारत देश की परम्पराओं को दकियानूसी और बकवास बताने वाले लोग, भगवन राम की गलतियां गिनाने वाले और हमारे पौराणिक कथाओं में मीन मेख निकालने वाले जाकर किसी और देश में रहने लगे यदि उन्हें भारतीय संस्कृति और परम्पराओं से इतनी परेशानी है तो। लेकिन इस तरह के फूहड़पन का समर्थन करके भारत देश को शर्मिंदा न करें। अपनी मानसिकता को आधुनिकता के नाम पर इतना नीचे गिरा दिया है कि इस देश की संस्कृति और मर्यादाओं को ही भूल गये। इसी मानसिकता के कारण भारत को बदलने की कोशिश की जाने लगी है। अब तो स्तिथि ऐसी बन गयी है कि किसी को शादी करने की जरुरत ही नही है जिसके साथ रहना है रहो लिव इन तो जायज है और अब व्यभिचार कानून की आड़ में बलात्कार होने लगेंगे फिर ये फर्क कर पाना मुश्किल होगा कि वाकई जबरदस्ती बलात्कार हुआ या सहमति से। अब तक अपोजिट जेंडर(लड़का लड़की) जीवनसाथी बन कर रहते थे लेकिन अब लड़के -लड़के जीवन साथी और लड़की लड़की जीवन संगिनी बन कर रहेंगी। शादी करने की किसी को जरुरत ही नही। भारत की परम्पराओं और संस्कृति को हवन कुण्ड में स्वाहा कर दो। जिसको जो करना हो करो स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक। भारत को तुमने और ज्यादा महान बना दिया।मुबारक हो।
- शिवांगी पुरोहित

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