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Showing posts from January, 2018

Saraswati novel

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रोजाना दुश्मनी हो जाती है किसी न किसी से..... स्पष्टवादी होने भी एक अपराध ही है.... यहाँ बहस के शौक़ीन आएंगे सैकड़ो.... लेकिन सच सुनकर भड़क उठते है... कामयाबी को देख ईर्ष्या धधक जाती है ... तो ...

ये है संविदा कर्मचारियों की हालत

मप्र में संविदा कर्मचारियों के हालात बिगड़ते जा रहे है।भिन्न भिन्न  शासकीय विभागों में कार्य करने वाले संविदा कर्मचारी लाचारी की मार झेल रहे है।चाहे कृषि विभाग हो या चिक...

ऐसे कर्म करो कि खुद से कोई शर्म न हो।

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गणतंत्र दिवस अपने साथ जितनी खुशियां लेकर आता है उतने ही प्रश्न भी लेकर आता है।फर्क सिर्फ इतना है कि प्रश्न केवल प्रश्न बनकर रह जाते है।भारतवासी उनका उत्तर नही दे पाते।68 सा...

एक व्यक्ति कि गलती से संविधान गलत नही हो जाता

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आज कल जिसे देखो वह संविधान की दुहाई देता है।संविधान को गलत ठहराता है।संविधान में वर्णित नीतियों को गलत बताता है।वह संविधान जो स्वतंत्र भारत में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक आदर्श नागरिक बनाने के लिए तथा भारत के कुशल संचालन के लिए बनाया गया था।भारत की कानून और न्याय व्यवस्था की नींव भारतीय संविधान ही है। लेकिन किसी ने कभी सोचा है, कि क्या सभी भारतीय आदर्श नागरिक बन पाये है? इस सवाल का जबाब संविधान के मौलिक अधिकारों में ही छुपा हुआ है।वे मौलिक अधिकार जो भारत के प्रत्येक नागरिक को जन्म से ही प्राप्त हो जाते है।अभिव्यक्ति का अधिकार जो अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है,हमे अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है इस अधिकार के तहत भारत का प्रत्येक नागरिक अपनी बात लोगो के सामने रख सकता है।लेकिन क्या अभिव्यक्ति के अधिकार का उपयोग भारत के नागरिक सही तरीके से कर रहे है?क्या अभिव्यक्ति का अधिकार हिंसा फैलाने,धार्मिक भावनाये भड़काने,धमकी देने, अपशब्द कहने या जानबूझ कर किसी की भावनाये आहात करने की इज़ाज़त देता है?? संविधान द्वारा दी गयी इस आजादी का इस तरह उपयोग कर कोई आदर्श नागरिक न...

जब वो पुकार रही है तो जाते क्यों नही??

पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहां भूमि से लेकर अग्नि तक और वृक्षो से लेकर नदियों तक को पूजा जाता है।बात हमारे मध्यप्रदेश की करें तो नर्मदा नदी मध्यभारत प्रान्त की जी...

जातिगत आंकड़े आये कहाँ से??

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आखिर किस संस्था द्वारा ये आंकड़े जारी किये गए है कि भारत की आबादी में हिन्दू धर्म में 85% लोग दलित है और 15% सवर्ण है।जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस सम्बन्ध में कड़े निर्देश जारी किये ज...

न्यायधीशों के मतभेद से उठे सवाल

भारत की न्याय व्यवस्था का सबसे बड़ा स्तम्भ आज कटघरे में आकर खड़ा हो गया है।माना की एक घर में चार बर्तन खड़कते है लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज ही खड़कने लगे है जिनके ऊपर भा...

आरक्षण या खैरात??

बात आरक्षण की है तो पहले ये स्पष्ट करना जरूरी है कि वैदिक काल से ही समाज 4 वर्णों  में विभाजित था : ब्राह्मण, राजन्य या क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र | प्रत्येक वर्ण का अपना कार्य निर...