एक व्यक्ति कि गलती से संविधान गलत नही हो जाता
आज कल जिसे देखो वह संविधान की दुहाई देता है।संविधान को गलत ठहराता है।संविधान में वर्णित नीतियों को गलत बताता है।वह संविधान जो स्वतंत्र भारत में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक आदर्श नागरिक बनाने के लिए तथा भारत के कुशल संचालन के लिए बनाया गया था।भारत की कानून और न्याय व्यवस्था की नींव भारतीय संविधान ही है। लेकिन किसी ने कभी सोचा है, कि क्या सभी भारतीय आदर्श नागरिक बन पाये है? इस सवाल का जबाब संविधान के मौलिक अधिकारों में ही छुपा हुआ है।वे मौलिक अधिकार जो भारत के प्रत्येक नागरिक को जन्म से ही प्राप्त हो जाते है।अभिव्यक्ति का अधिकार जो अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है,हमे अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है इस अधिकार के तहत भारत का प्रत्येक नागरिक अपनी बात लोगो के सामने रख सकता है।लेकिन क्या अभिव्यक्ति के अधिकार का उपयोग भारत के नागरिक सही तरीके से कर रहे है?क्या अभिव्यक्ति का अधिकार हिंसा फैलाने,धार्मिक भावनाये भड़काने,धमकी देने, अपशब्द कहने या जानबूझ कर किसी की भावनाये आहात करने की इज़ाज़त देता है?? संविधान द्वारा दी गयी इस आजादी का इस तरह उपयोग कर कोई आदर्श नागरिक नही बन सकता है।भारत के संविधान के अनुसार भले ही देशवासी हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई,जैन या बौद्ध जैसे धर्मो तथा सांप्रदायो में बंटे हुए है लेकिन देश का प्रत्येक नागरिक सर्वप्रथम भारतीय है और संविधान के समक्ष सभी एक सामान है।मौलिक अधिकारों में समानता का अधिकार वर्णित है किन्तु दूसरी ओर संविधान के अन्य प्रावधान के अनुसार जाति आरक्षण लागू किया गया है जो समानता के अधिकार के लिए एक अपवाद है जिसे छुआछूत और भेदभाव ख़त्म करने के लिए बनाया गया था लेकिन आज वहीं आरक्षण भारत के लोगों में जातिगत रोष पैदा करता जा रहा है।डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान लागू होने के दुसरे दिन ही संविधान में संशोधन करवा कर आरक्षण लागू कर दिया था जो आज तक चलता आ रहा है और जातिगत मतभेदों का कारण भी बन रहा है।इस बात को लेकर आज भारत के नागरिक संविधान को गलत बताने लगे है।लेकिन यहां एक तथ्य यह है जिसे सभी भूल जाते है कि आरक्षण भीमराव आंबेडकर ने संविधान में जुड़वाया था और इसकी समय सीमा 10 वर्ष थी।लेकिन फिर भी इसे खत्म नही किया गया तो इसके लिए संविधान का अपमान नही करना चाहिए।इसके लिए भारत सरकार जिम्मेदार है।राजनेता जिम्मेदार है जो अपने वोट पाने के लिए जातिगत राजनीती कर रहे है।जबकि वे स्वयं जानते है कि आरक्षण के कैसे परिणाम निकल कर आ रहे है।इसलिए सब कुछ जानते हुए भी संविधान की गरिमा को ठेस नही पहुँचना चाहिए।संविधान है तो भारत में व्यवस्था है न्याय है और लोकतंत्र है।इसीलिए लोकतंत्र को बचाना है तो संविधान का पालन कीजिये।रही बात आरक्षण की तो यदि आपमें काबिलियत है तो आपको आरक्षण की जरुरत नही है।
- शिवांगी पुरोहित।
Comments
Post a Comment