जब वो पुकार रही है तो जाते क्यों नही??

पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहां भूमि से लेकर अग्नि तक और वृक्षो से लेकर नदियों तक को पूजा जाता है।बात हमारे मध्यप्रदेश की करें तो नर्मदा नदी मध्यभारत प्रान्त की जीवनधारा कहलाती है।माता के रूप में पूजी जाने वाली नर्मदा नदी यहां के लोगों के जीवन में एक मुख्य भूमिका अदा करती है। नर्मदा नदी का जल मध्यप्रदेश के खेत खलिहानों तथा वनो के पालन पोषण का प्रमुख स्त्रोत है।यदि मध्यप्रदेश वासियों के जीवन में नर्मदा नदी का महत्त्व लिखने बैठ जाएँ तो पूरा नर्मदपुराण लिखा जायेगा।कहने का तात्पर्य यह है कि नर्मदा नदी वास्तव में मध्यप्रदेश वासियों की जननी है।इसका जितना गुण गान करें कम है।लेकिन वर्तमान परिदृश्य देखते हुए एक प्रश्न यह उठता है कि क्या नर्मदा को पूजने वाले लोग वास्तव में उसे माँ के रूप में देखते है या फिर नर्मदा के भक्तगणों की भक्ति अगरबत्ती और नारियल तक ही सीमित है।एक ओर लोगों का स्वार्थ कहें या आस्था, नर्मदा के पवित्र जल में डुबकी मार लेना पर्याप्त है लेकिन उसी पवित्र जल में अपने वाहनों को धोना तथा मछुआरों द्वारा नर्मदा के जल में मांस धोने जेसी बाते आस्था को नही बल्कि लोगों कि कुटिलता को दर्शाती है।नर्मदा के प्रति अपने भक्ति भाव जताने का लोगों का अपना अपना तरीका है।कुछ कर्मठ प्रवत्ति के लोग नर्मदा पूजा के नाम पर पूरी पूजन सामग्री नर्मदा में प्रवाहित कर देते है और इसके पीछे आस्था के साथ साथ स्वयं को महान आस्तिक बताने की वजह भी होती है।लोग अपनी भक्ति नर्मदा मैया से ज्यादा लोगो को बताना चाहते है इसीलिए वास्तव में कुछ लोगो के लिए नर्मदा घाट पिकनिक स्पॉट की तरह होता है जहाँ वे महीने में दो बार भरपूर पिकनिक मानते है, अपनी गाड़िया नर्मदा नदी में धोते है और दिन भर वहीँ बनाते खाते है और घाट पर भरपूर कचरा फैलाते है। साथ ही साथ नर्मदा के पवित्र जल में साबुन से नहाते है और अपने गंदे कपडे धोते है।यही लोग यदि नर्मदा को साफ़ करने में अपना योगदान दें तो वाकई में सिद्ध हो जायेगा कि नर्मदा सचमुच में यहां के लोगों की माँ है।ऐसा नही है कि सभी व्यक्ति ऐसे है जो नदी को प्रदूषित करते है बल्कि नर्मदा के कुछ वास्तविक भक्त ऐसे भी है जिनमे नर्मदा मैया के लिए सच्ची आस्था है।वे लोग नर्मदा के पवित्र जल में पूरी श्रद्धा से डुबकी लगाते है वो भी बिना साबुन शैम्पू के।साथ ही साथ नर्मदा के घाटो को साफ करने का काम भी करते है।नर्मदा घाटों पर समय समय पर  लगने वाले मेलों से घाटों की गंदगी और ज्यादा बढ़ जाती है इन घाटों को साफ़ करने की जिम्मेदारी नर्मदा मैया के भक्तों की होती है जिसमे से कुछ नर्मदा स्वच्छता अभियान के चलते नर्मदा नदी को साफ़ करने में अपना योगदान दे रहे है तथा नर्मदा पद यात्रा के द्वारा नर्मदा को बचाने के लिए पूरे मध्यप्रदेश में जान जागृति अभियान चला रहे है।यदि नर्मदा नदी को बचाना है तो सभी लोगो को अपनी आदतें सुधारनी चाहिए और नर्मदा को साफ़ रखने में अपना योगदान भी देना चाहिए।मध्यप्रदेश में नर्मदा जल घर घर में पहुच रहा है लेकिन लोगो की शिकायत रहती है कि  नर्मदा जल सप्लाई के नलो से गन्दा पानी आता है।शिकायत कर्ता शायद इस बात को नही समझते कि वे स्वयं नर्मदा नदी को प्रदूषित करते है।कहने का तात्पर्य यही है कि जिस प्रकार नर्मदा नदी में गंदे नालों तथा फैक्ट्रियों का पानी जा रहा है और लोग स्वयं भी नर्मदा के जल को दूषित कर रहे है तो उन्हें नर्मदा संरक्षण के प्रति जागरूक होना चाहिए और अपनी नर्मदा मैया को बचाने के लिए भरपूर योगदान देना चाहिए।
- शिवांगी पुरोहित (स्वतंत्र लेखक)
पिपरिया मप्र।

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