बढ़ते घोटाले और लापरवाह सरकार

आये दिन सामने आ रहे करोड़ों के घोटाले इस बात की ओर संकेत कर रहे है भारत का आर्थक ढांचा पूरी तरह टूट के बिखर गया है और  जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है।भारत का सारा पैसा बड़े बड़े पूंजीपतियों की जेबों में भरा हुआ है। नीरव मोदी और विजय माल्या तो केवल वे नाम है जो गलती से बाहर आ गए वरना "न खाऊंगा न खाने दूँगा" कहने वाले मोदी जी के राज में भारत की अर्थव्यवस्था के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है  भारत की जनता उससे बिलकुल अनभिज्ञ है।पीएनबी का मामला सामने आते ही एक के बाद एक घोंटले सामने आने लगे है। जिनमे रोटोमेक के मालिक विक्रम कोठारी भी शामिल है। साथ ही सीबीआई ने दिल्ली के ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) की एक शाखा के साथ 390 करोड़ की धोखाधड़ी किए जाने का मामला दर्ज किया है।
राजधानी के ही एक ज्वेलरी आउटलेट के ख़िलाफ़ गुरुवार (22 फरवरी) को धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के सार्वजनिक हुए दो दिन भी नहीं बीते थे कि मोदी सरकार ने भारत में बैंक धोखाधड़ी से जुड़े चौंकाने वाले आंकड़े सामने रख दिए।क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सार्वजनकि क्षेत्र के बैंकों को साल 2012 से 2016 के बीच धोखा देकर 22,743 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया। रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 के पहले नौ महीने में आईसीआईसीआई बैंक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया , स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक  और एचडीएफ़सी बैंक में कई  मामले पकड़े गए।
ये सभी मामले एक लाख रुपये या इससे ज़्यादा के थे। रिपोर्ट कहती है कि धोखाधड़ी के ज़्यादातर मामलों में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत थी।आंकड़े बताते हैं कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के 60 से ज्यादा स्टाफ़, एचडीएफसी बैंक के 49, एक्सिस बैंक के 35 कर्मचारियों का इस गोरखधंधे में रोल पाया गया। मतलब यह हुआ कि वे लोग जिन्हें जनता के पैसे की सुरक्षा के लिए रखा गया है जो हज़ारो की फीस सरकार से लेते है वे लोग इतने लालची है कि जनता के पैसे पूंजीपतियों की जेबों में भर रहे  है। बड़े बड़े पूंजीपतियों को चुटकियों में लोन दे दिया जाता है और सालों तक वो पैसा बैको को वापस नही मिलता।लेकिन एक आम आदमी को कई कागजातों में उलझ कर मुश्किल से लोन मिलता है और लोन की किश्त भरने के लिए बार बार धमकाया जाता है। आखिर कितना अंतर होता है न एक आम आदमी और एक पूंजीपति में। भारत की आम जनता गरीबी में मर रही है और इन धनवानों को पैसों का अभिषेक किया जा रहा है। सरकार ही नही सरकारी क्षेत्र का प्रत्येक व्यक्ति इतना भ्रष्ट हो चुका है कि उनकी सजा आम आदमी को भोगनी पड़ती है। जिन बैकों पर इतना विश्वास करके जनता द्वारा अपनी जमा पूँजी दी जाती है वे ही जनता के पेसो का दुरूपयोग करते है। जांच में ऐसे सैकड़ो बैंक कर्मचारी सामने आये है जिन्होंने इन घोटालों में भरपूर साथ दिया है। इतना ही नही उन भ्रष्टाचारियों में हज़ारो नकली खाते खोले है और उनमे करोड़ों का ट्रांजेक्शन है। आखिर जनता अब किस पर विशवास करे। अपना पेसा अपने घर में रखे तो नोट बंद दिए जाते है और बैंक में रखे तो घोटाले हो जाते है। बैंक घोटालों का सबसे बड़ा असर भारत की आम जनता पर होता है।इन सब मामलों को देखते हुए भी भारत की जनता जाग नही रही है और इनके खिलाफ आवाज़ नही उठा रही है।न ही युवा इस मामले को गंभीरता से ले रहे है। उन्हें तो घोटालों पर जोक बनाने और उन जोकों को पढ़ कर खिलखिलाने से फुरसत नही है।
-शिवांगी पुरोहित

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